ठवनि

विक्षनरी से


हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ठवनि पु संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ स्थापन, हिं॰ ठवना ( = बैठना) वा सं॰ स्थान]

१. बैठक । स्थिति । उ॰—राज रुख लखि गुरु भूसुर सुआसनन्हि समय समाज की ठवनि भली ठई है ।— तुलसी (शब्द॰) ।

२. बैठने या खड़े होने का ढंग । आसन । मुद्रा । अंग की स्थिति या संचालन का ढब । अंदाज । उ॰— (क) कुंजर मनि कंठा कलित उर तुलसी की माल । बृषभ कंध केहरि ठवनि बलनिधि बाहु बिसाल ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) ठाढ़ भए उठि सहज सुभाए । ठवनि जुवा मृगराज लजाए ।—तुलसी (शब्द॰) ।