ठहकाना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ठहकाना पु क्रि॰ स॰ [हिं॰ ठह ( = स्थान)] किसी वस्तु को उसके ठीक स्थान पर बैठाना या जमाना । उ॰—तन बंदूक सुमति कै सिंगरा, ज्ञान के गज ठहकाई । सुरति पलीता हृरद म सुलगै, कसपर राख चढ़ाई ।—पलटू॰, भा॰ ३, पृ॰ ४० । (क) दम को दारू को सीसा ज्ञान के गज ठहकाई ।— कबीर॰ श॰, भाग २, पृ॰ १३२ ।