ठहर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ठहर संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्थल या स्थिर]
१. स्थान । जगह । उ॰—ठाकुर महेस ठकुराइनि उमा सी जहाँ लोक बेद हुँ विदित महिमा ठहर की ।—तुलसी (शब्द॰) ।
२. रसोई के लिये मिट्ठी से लिपा हुआ स्थान । चौका ।
३. रसोईघर आदि मिट्ठी की लिपाई । पोताई । चौका । उ॰—नेम अचार षटकर्म नहीं नाँहीं पाँति को पान । चौका चंदन ठहर नहीं मीठा देव निदान ।—सं॰ दरिया॰, पृ॰ ३८ । क्रि॰ प्र॰—लगाना । मुहा॰—ठहर देना = रसोईघर वा भोजन के स्थान को लीप पोत— कर स्वच्छ करना । चौका लगाना ।