ठहरना
क्रिया
रुकना, स्थिर होना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
शब्दसागर
ठहरना क्रि॰ अ॰ [सं॰ स्थिर + हिं॰ ना (प्रत्य॰), अथवा सं॰ स्थल, हिं॰ ठहर + ना (प्रत्य॰)]
१. चलना बंद करना । गति में न होना । रुकना । थमना । जैसे,—(क) थोड़ा ठहर जाओ पीछे के लोगों को भी आ लेने दो । (ख) रास्ते में कहीं न ठहरना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।
२. विश्राम करना । डेरा डालना । टिकना । कुछ काल तक के लिये रहना । जैसे,—आप काशी में किसके यहाँ ठहरेंगे ? संयो॰ क्रि॰— जाना ।
३. स्थित रहना । एक स्थान पर बना रहना । इधर उधर न होना । स्थिर रहना । जैसे,—यह नौकर चार दिन भी किसी के यहाँ नहीं ठहरता । संयो॰ क्रि॰—जाना । मुहा॰—मन ठहरना = चित्त स्थिर और शांत होना । चित्त की आकुलता दूर होना ।
४. नीचे न फिसलना या गिरना । अड़ा रहना । टिका रहना । बहने या गिरने रुकना । स्थित रहना । जैसे, (क) यह गोला डंडे की नोक पर ठहरा हुआ है । (ख) यह घड़ा फूटा हुआ है इसमें पानी नहीं ठहरेगा । (ग) बहुत से योगी देर तक अधर में रहते हैं । संयो॰ क्रि॰ —जान ।
५. दूर न होना । बना रहना । न मिटना या न नष्ट होना । जैसे,—यह रंग ठहरेगा नहीं, उड़ जायगा ।
६. जल्दी न टूटना फूटना । नियत समय के पहले नष्ट न होना । कुछ दिन काम देने लायक रहना । चलना । जैसे,—यह जूता तुम्हारे पैर में दो महीने भी नहीं ठहरेगा ।
७. किसी धुली हुई वस्तु के नीचे बैठ जाने पर पानी या अर्क का स्थिर और साफ होकर ऊपर रहना । थिराना ।
८. प्रतीक्षा करना । धैर्य धारण करना । धीरज रखना । स्थिर भाव से रहना । चंचल या आकुल न होना । जैसे,—ठहर जाओ, देते हैं, आफत क्यों मचाए हो ।
९. कार्य आरंभ करने में देर करना । प्रतीक्षा करना । आसरा देखना । जैसे,—अब ठहरने का वक्त नहीं है झटपट काम में हाथ लगा दो ।
१०. किसी लगातार होनेवाली क्रिया का बंद होना । लगातार होनेवाली बात या काम का रुकना । थमना । जैसे, मेह ठहरना, पानी ठहरना । संयो॰ क्रि॰—जाना ।
११. निश्चित होना । पक्का होना । स्थिर होना । तै पाना । करार होना । जैसे, दाम या कीमत ठहरना, भाव ठहरना । बात ठहरना, ब्याह ठहरना । मुहा॰—किसी बात का ठहरना = किसी बात का संकल्प होना । विचार स्थिर होना । ठनना । जैसे,—(क) क्या अब चलने ही की ठहरी ? (ख) गप बहुत हुई, अब खाने की ठहरे । ठहरा = है । जैसे,(क) वह तुम्हारा भाई ही टहरा कहाँ तक खबर न लेगा? (ख) तुम घर के आदमी ठहरे तुमसे क्या छिपाना ? (ग) अपने संबधी ठहरे उन्हें क्या कहें । विशेष—इस मुहा॰ का प्रयोग ऐसे स्थलों पर ही होता है जहाँ किसी व्यक्ति या वस्तु के अन्यथा होने पर विरुद्ध घटना या व्यवहार की संभावना होती है । †
११. (पशुओं के लिये ) गर्भ धारण करना ।