ठाक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ठाक † संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ स्ताघ अथवा स्तम्भन अथवा हिं॰ थाक ( = थकना) अथवा सं॰ स्था + क (प्रत्य॰)] बाधा । रोक । रुकावट । उ॰—(क) जब मन गाहि लेत खलवारा । छूटो ठाक मूए सिकदारा ।—प्राण॰, पृ॰ ५० । (ख) जाके मन गुरु का उपदेश । ताँ कौ ठाक नहीं उह देश ।—प्राण॰, पृ॰ ११ ।