ठाड़ा ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ठाढ़] खेत की वह जोताई जिसमें एक बल जोतकर फिर दूसरे बल जोतते हैं ।
ठाड़ा ^२ वि॰ [वि स्त्री॰ ठाड़ी]दे॰ 'ठाढ़ा' । उ॰—नंददास प्रभु जहीं जहीं ठाड़े होत, तहीं तहीं लटक लटक काहू सों हाँ करी औ ना करी ।—नंद॰, ग्रं॰, पृ॰ ३४३ ।