ठाला

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ठाला संज्ञा पुं॰ [देशी ठल्ल ( = निर्धन); वा हिं॰ निठल्ला]

१. व्यवसाय या काम धंधे का अभाव । बेकारी । रोजगार का न रहना ।

२. रोजी या जीविका का अभाव । आमदानी का न होना । वह दशा जिसमें कुछ प्राप्ति न हो । रुपए पैसे की कमी । जैसे,—आजकल बड़ा ठाला है, कुछ नहीं दे सकते । मुहा॰—ठाले पड़ना = शून्यता, रिक्तता या खालीपन का अनुभव होना । ठाला बताना = बिना कुछ दिए चलता करना । धता बताना (दलाल) । बैठे ठाले = खाली बैंठे हुए । कुछ काम धंधा न रहते हुए । जैसे,—बैठे ठाले यही किया करो, अच्छा है । यौ॰—ठाला ठुलिया = खाली । रीता । छूँछा । उ॰—नैन नचावत दधि मटुकिन की करिकै ठाला ठुलिया ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ १९४ ।