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ठाह

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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ठाह ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ स्थान वा हिं॰ ठहरना] धीरे धीरे और अपेक्षाकृत कुछ अधिक समय लगाकर गाने या बजाने की क्रिया । विशेष—जब गाने या बजानेवाले लोग कोई चीज गाना या बजाना आरंभ करते हैं, तब पहले धीरे धीरे और अधिक समय लगाकर गाते या बजाते हैं । इसी को 'ठार' या 'ठाह' में गाना बजाना कहते हैं । आगे चलकर वह चीज क्रमशः जल्दी जल्दी गाने या बजाने लगते हैं । जिसे दून, तिगून या चौगून कहतै हैं । वि दे॰ 'चौगून' ।

२. स्थान । ठँव । उ॰—चल्यौ जहाँ सब हाथिनी ठाहीं । गज मकरंद देखि तेहि भाईं ।—घट॰, पृ॰ २४१ ।

ठाह ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ स्ताघ (= छिछला)]दे॰ 'थाह' ।