ठाहरना † क्रि॰ अ॰ [हिं॰ ठाहर] दे॰ 'ठहरना' । उ॰—घर में सब कोई बंकुडा मारहिं गाल अनेक । सुंदर रण मैं ठाहरै सूर बीर कौ एक ।—सुंदर ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ७३८ ।