ठिकठेक पु † वि॰ [हि॰] ठीक ठीक । ढंग से । उ॰—एक शरीर मैं अँग भए बहु एक, धरा पर धाम अनेका । एक शिला महिं कोरि किए सब चित्र बनाइ धरे ठिकठेका ।—सुंदर॰ ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ६४६ ।