ठिलना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ठिलना क्रि॰ अ॰ [हिं॰ ठेलना]
१. ठेला जाना । ढकेला जाना । बलपूर्वक किसी ओर खिसकाया या बढ़ाया जाना । उ॰—फिरै धर बज्जिय झार करार । ठिलें न ठिलाइ न मन्निय हार ।— पृ॰ रा॰, १९ ।२२१ ।
२. बलपूर्वक बढ़ना । वेग से किसी ओर झुक पड़ना । घुसना । धँसना । उ॰—दक्खिन ते उमड़े दोउ भाई । ठिले दीह दल पुहिम हिलाई ।—लाल (शब्द॰) । †
३. बैठना । जमना । स्थिर होना ।