ठेठ
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ठेठ ^१ वि॰ [देश॰]
१. निपटय़ निरा । बिलकुल । जैसे, ठेठ सगँवार ।
२. खालिस । जिसमें कुछ मेलजोल न हो । जैसे, ठेठ बोली, ठेठ हिंदी ।
३. शुद्ध । निर्मल । निर्लिप्त । उ॰—मैं उपकारी ठेठ का सतगुरु दिया सोहाग । दिल दरपन दिखलाय के दु र किया सब ताग ।—कबीर (शब्द॰) ।
४. आरंभ । शुरू । उ॰—मैं ठेठ से देखता आता हूँ कि आप मुझकों देखकर जलते हैं ।—श्रीनिवास दास (शब्द॰) ।
ठेठ ^२ संज्ञा स्त्री॰ सीधी सादी बोली । वह बोली जिसमें साहित्य अर्थात् लिखने पढ़ने की भाषा के शब्दो का मेल न हो ।