डकार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]डकार संज्ञा स्त्री॰ [अनु॰]
१. पेट की वायु का एकबारगी ऊपर की ओर छूटकर कंठ से शब्द के साथ निकल पड़ने का शरीरिक व्यापार । मुँह से निकला हुआ वायु का उदगार । क्रि॰ प्र॰—आना ।—लेना । बिशेष— योग आदि के अनुसार डकार नाग वायु की प्रेरणा से आती है । मुहा॰— डकार न लेना = (१) किसी का धन या कोई वस्तु उड़ाकर पता न देना । चुपचाप हजम कर जाना । (२) कोई काम करके उसका पता न देना ।
२. बाघ सिंह आदि की गरज । दहाड़ । गुर्राहट । क्रि॰ प्र॰— लेना ।