डण्ड
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]डंड संज्ञा पुं॰ [सं॰ दण्ड, प्रा॰ डंड]
१. डंडा । सोंटा । उ॰— कंथा पहिरि डंड कर गहा । सिद्ध होइ कहँ गोरख कहा ।— जायसी ग्रं॰ (गुप्त), पृ॰ २०५ ।
२. वाहुदँड । बाहुँ ।
३. मेरुदंड । रीढ़ । उ॰— दरिया चढिया गगन को, मेरु उलँग्या डंड । सुख उपजा साँई मिला, भेटा ब्रह्म अखंड ।—दरिया॰ बानी, पृ॰ १५ ।
४. एक प्रकार का व्यायाम जो हाथ पैर के पंजों के बल पृथ्वी पर पट और सीधा पड़कर किया जाता है । हाथ पैर के पंजों के बल पर पड़कर की जानेवाली कसरत । क्रि॰ प्र॰—करना । यौ॰— डंडपेल । डंड बैठक = डंड और बैठक नाम की कसरत । मुहा॰— डंड पेलना = खूब डंड करना ।
५. दंड । सजा ।
६. अर्थदंड । जुरमाना । वह रुपया जो किसी अपराध या हानि के बदले में दिया जाय । क्रि॰ प्र॰—देना ।—लगना ।— लगाना । मुहा॰— डंड डालना = अर्थदंड नियत करना । जुरमाना करना । डंड भरना = हानि के बदले में धन देना । जूरमाना या हरजाना देना । उ॰— भूमि आस जौ कराहि भरहि तौ डंड सेव करि ।—पृ॰ रा॰, ८ । ३ ।
७. घाटा । हानि । नुकसान । मुहा॰— डंड पड़ना = नुकसान होना । व्यर्थ व्यय होना । जैसे,— कुछ काम भी नहीं हुआ, इतना रुपया डंड पड़ा ।
८. घड़ी । दंड । दे॰ 'दंड' । उ॰— डंड एक माया करु मोरें । जोगिनि होउँ चलौं सँग तोरें ।—पदमावत, पृ॰ ६५८ ।