डंडूर संज्ञा पुं॰ [प्रा॰ डुडुंल्ल] दे॰ 'डंडूल' । उ॰— अग्नि ज्वाल किन तन उठत, किन तन बरसै मेह । चक्र पवन डंडूर के कैतन कंकर खेह ।—पृ॰ रा॰, ६ । ५५ ।