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डाट

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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डाट ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ दान्ति]

१. वह वस्तु जो किसी बोझ को ठहराए रखने या किसी वस्तु को खड़ी रखने के लिये लगाई जाती है । टेक । चाँड़ । क्रि॰ प्र॰—लगाना ।

२. वह कौल या खूँटा जिसे ठोंककर कोई छेद बंद किया जाय । छेद रोकने या बंद करने की वस्तु । क्रि॰ प्र॰—लगाना ।

३. बोतल, शीशी आदि का मुँह बंद करने की वस्तु । ठेंठी । काग । गट्टा । क्रि॰ प्र॰—कसना ।—लगाना ।

४. मेहराब को रोके रखने के लिये इँटों आदि की भरती । लदाव की रोक । लदाव का ढोला ।

डाट ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'डाँट' ।

डाट ^३ संज्ञा पुं॰ [अं॰] नुकता । बिंदु । उ॰— इस कसबियों पर डाठ लगाकर ।— प्रेमघन, भा॰ २, पृ॰ ४५५ ।