डार
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]डार पु ^१ संज्ञा संज्ञा [सं॰ दारु( = लकड़ी)]
१. डाल । शाखा । उ॰— (क) रत्नजटित कंकन बाजूबंद गगन मुद्रिका सोहै । डार डार मनु मदन विटप तरु विकच देखि मन मोहै ।— सूर (शब्द॰) । (ख) जिन दिन देखे वे कुसुम गई सो बीत बहार । अब अलि रही गुलाब में अपत कँटीली डार ।—बिहारी (शब्द॰) । फानूस जलाने के लिये दीवार में लगाने की खूँटी ।
डार पु ^२ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ डलक] डालिया । चँगेर । डाली । उ॰— चली पाउन सब गोहनै फूल डार लेइ हाथ । बिस्सुनाथ कइ पूजा पदुमावति के साथ ।—जायसी (शब्द॰) ।
डार ^३ संज्ञा स्त्री॰ [पं॰ डार (= झुंड)] समूह । झुंड ।