डाल
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]डाल ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ दारु(=लकडी), हिं॰ डार]
१. पेड़ के धड़ से इधर उधर निकली हुई वह लंबी लकड़ी जिसमें पत्तियाँ और कल्ले होते हैं । शाखा । शाखा । मुहा॰— डाल का टुटा = (१) डाल से पककर गिरा हुआ ताजा (फल) । (२) बढ़िया । अनोखा । चोखा । जैसे,— तुम्हीं एक डाल के टूटे हो जो सब कुछ तुम्हीं को दिया जाय । (३) नया आया हुआ । नवागंतुक । डाल का पका = पेड़ ही में पका हुआ । डालवाला = बंदर । शाखामृग ।
२. फानूस जलाने के लिये दिवार में लगी हुई एक प्रकार की खूँटी ।
३. तलवापर का फल । तलवार के मूठ के ऊपर का मुख्य भाग ।
४. एक प्रकार का गहना जो मध्यभारत और मारबाड़ में पहना जाता है ।
डाल संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ डाक, हिं॰ डला]
१. डेलिया । चँगेरी ।
२. फूल, फल या खाने पीने की वस्तु जो डेलिया में सजाकर किसी के यहाँ भेजी जाय ।
३. कपड़ा और गहना जो एक डलिया में रखकर विवाह के समय वर की ओर से वधू को दिया जाता है ।