डिम

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

डिम संज्ञा पुं॰ [सं॰] नाटक या दृश्य काव्य का एक भेद । विशेष—इसमें माया, इंद्रजाल, लड़ाई और क्रोध आदि का समा- वेश विशेष रूप से होता है । यह रौद्र रस प्रधान होता हैं और इसमें चार अंक होते हैं । इसके नायक देवता, गंधर्व, यक्ष आदि होते हैं । भूतों और पिशाचों की लीला इसमें दिखाई जाती है । इसमें शांत, श्रृंगार और हास्य ये तीनों रस न आने चाहिए ।