डीठ
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]डीठ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ दृष्टि, प्रा॰ दिट्ठि, डिट्ठि]
१. दृष्टि । नजर । निगाह । उ॰—गुरु शब्दन कूँ ग्रहन करि विषयन कूँ दे पीठ । गोविंद रूपी गदा महि मारो करमन डीठ ।—दया॰ ७ बानी, पृ॰ ६ । क्रि॰ प्र॰—डालना ।—पसारना । मुहा॰—डीठ चुराना = नजर छिपाना । सामने न ताकना । डीठ छिपाना = दे॰ 'डीठ चुराना' । डीठ जोड़ना = चार आँखों करना । सामने ताकना । डीठ बाँधना = नजरबंद करना । ऐसी माया या जादू करना जिसमें सामने की वस्तु ठीक ठीक च सूझे । डीठ मारना = नजर डालना । चितवन से चित्त मोहित करना । डौठ रखना= नजर रखना । निरीक्षण करना । डीठ लगाना = नजर लगाना । किसी अच्छी वस्तु पर अपनी दृष्टि का बुरा प्रभाव डालना । यौ॰—डीठबंध ।
२. देखने की शक्ति ।
३. ज्ञान । सूझ । उ॰—दई पीठे बिनु डीठि हौ, तू विश्व विलोचन ।—तुलसी (शब्द॰) ।