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डेरा

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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डेरा ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ठैरना, ठैराव या हिं॰ दर (स्थान)]

१. टिकान । ठहराव । थोडे़ काल के लिये लिवास । थोडे़ दिन के लिये रहना । पड़ाव । जैसे,— आज रात को यहीं डेरा करो, सबेरे उठकर चलेंगे । क्रि॰ प्र॰—होना ।— लेना । = स्थान तजबीजकर टिक जाना या निवास करना ।— ढोला॰, दू॰ १८७ ।

२. टिकने का आयोजन । टिकान का सामान । ठहरने वा रहने के लिये फैलाया हुआ सामान । जैसे, बिस्तर, बरतन, भाँड़ा, छप्पर, तंबू इत्यादि । छावनी । जैसे,— यहाँ से चटपट डेरा उठाओ । यौ॰— डेरा डेडा = टिकने का सामना । बोरिया बँधना । निवास का सामान । उ॰— तसल्ली से असबाब वगेरह रखा गया और डेराडंडा ठीक हुआ ।— प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ १५९ । मुहा॰— डेरा डालना = सामान फैलाकर टिकना । टहरना । रहना । डेरा पड़ना = टिकान होना । छावनी पड़ना । उ॰— (क) भरि चौरासी कोस परे गोपन के डेरा ।— सूर (शब्द॰) । (ख) पास मेरे इधर उधर आगे । है दुखों का पड़ा हुआ डेरा ।— चुभते॰, पृ॰ ४ । डेरा डंडा उखाडना = टिकने का सामान हटाकर चला जाना ।

३. टिकने के लिये साफ किया हुआ और छाया बनाया हुआ स्थान । ठहरने का स्थान । छावनी । कैप । उ॰— नौबत झरहि बहु नृपति डेरन दुंदुभी घुनि ह्वै रही ।— रघुराज (शब्द॰) ।

४. खेमा । तंबु । छोलदारी । शामियाना । क्रि॰ प्र॰— खड़ा करना ।

५. नाचने गानेवालों का दल । मंडली । गोल ।

६. मकान । धर । निवासस्थान । जैसे,— तुम्हारा डेरा कितनी दूर है ?

डेरा पु ^२ वि॰ [सं॰ डहरा (= छोटा)?] [स्त्री॰ डेरी] बायाँ । सव्य । जैसे, डेरा हाथ । उ॰— (क) फहमैं आगे फहमैं प्राछे, फहमैं दहिनेस डेरे ।— कबीर (शब्द॰) (ख) सूर श्याम सम्मुख रति मानत गए मग बिसरि दाहिने डोरे ।— सूर (शब्द॰) ।

डेरा ^३ संज्ञा पुं॰ [दे्श॰] एक छोटा जंगली पेड़ जिसकी सफेद और मजबूत लकड़ी सजावट के समान बनाने के काम में आती है । विशेष— यह पेड़ पंजाब, अवध, बंगाल तथा मध्य प्रदेश और मदरास में भी होता है । इसे 'धरोली' भी कहते हैं । इसकी छाल और जड़ साँप काटने पर पिलाई जाती है ।