डोलना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]डोलना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ दोलना (=लटकाना, हिलना)]
१. हिलना । चलायमान होना । गति में होना ।
२. चलना । फिरना । टहलना । जैसे,—चौपाए चारों ओर डोल रहे हैं । उ॰—(क) भक्तबिरह कातर करुनाभय, डोलत पाछैं लागे ।— सूर॰, १ । ८ । (ख) जाहि बन केओ न डोल रे । ताहि बन पिया हसि बोल रे ।—विद्यापति॰, पृ॰ ३१९ । यौ॰—डोलना फिरना = चलना घूमना ।
३. चला जाना । हटना । दूर होना । जैसे,—वह ऐसा अकड़कर माँगता है कि डुलाने से नहीं डोलता ।
४. (चित्त) विचलित होना । (चित्त का) दृढ़ न रह जाना । (चित्त का) किसी बात पर) जमा न रहना । डिगना । उ॰—(क) मर्म बचन जब सीता बोला । हरि प्रेरित लछिमन मन डोला ।—तुलसी (शब्द॰) । (ख) बटु करि कोटि कुतर्क जथारुचि बोलई । अचल सुता मनु अचल बयारि कि डोलई ?—तुलसी (शब्द॰) ।
डोलना ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰ दोलन] दे॰ 'डोला' ।
डोलना क्रि॰ स॰ [हिं॰ डोलना]
१. हिलाना । चलाना । गति में रखना । जैसे, पंखा डोलना । संयो॰ क्रि॰—देना ।
२. हटाना । दूर करना । भगाना ।