सामग्री पर जाएँ

ड्योढ़ी

विक्षनरी से


प्रकाशितकोशों से अर्थ

[सम्पादन]

शब्दसागर

[सम्पादन]

ड्योढ़ी संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ देहली]

१. द्वार के पास की भूमि । वह स्थान जहाँ से होकर किसी घर के भीतर प्रवेश करते हैं । चौखट । दरवाजा । फाटक ।

२. वह स्थान जो पटे हुए फाटक के नीचे पड़ता है या वह बाहरी कोठरी जो किसी बड़े मकान में घुसने के पहले ही पड़ती है । उ॰—महरी ने दरोगा साहब की ड्योढ़ी पर जगाया ।—फिसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ २४ ।

३. दरवाजे में घुसते ही पड़नेवाला बाहरी कमरा । पौरी । पँवरी । यौ॰—ड्यौढ़ीदार । ड्यौढ़ीवान । मुहा॰—(किसी की) ड्यौढ़ी खुलना = दरबार में आनै की इजाजत मिजना । आने जाने की आज्ञा मिलना । (किसी की) ड्यौढ़ी बंद होना = किसी राजा या रईस के यहाँ आने जाने की मनाही होना । आने जाने का निषेध होना । ड्यौढ़ी लगना = द्वार पर द्वारपाल बैठना जो बिना आज्ञा पाए लोगों को भीतर नहीं जाने देता । ड्यौढ़ी पर होना = दरवाजे पर या अधीनता में होना । नौकरी में होना । उ॰— बस्त्रोः हुजूर हमने यह बात किसी रईस के घर में आजतक देखी ही नहीं । यहाँ चाहे बढ़ बढ़ के जो बातें बनाएँ, किसी और की ड्यौढ़ी पर होती तो जड़ खड़ें निकलवा दी आती ।—सैर कु॰, पृ॰ ३२ ।