ढब

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ढब संज्ञा पुं॰ [सं॰ धव ( = चलना, गति ) या देश॰]

१. क्रियाप्रणाली । ढंग । रीति । तौर तरीका । जैसे, काम करने का ढब । उ॰— ताकन को ढब नाहिं तकन की गति है न्यारी ।— पलटू॰, पृ॰ ४४ ।

२. प्रकार । भाँति । तरह । किस्म । जैसे,— वह न जाने किस ढब का आदमी है ।

३. रचना- प्रकार । बनावट । गढ़न । ढाँचा । जैसे,— वह गिलास और ही ढब का है ।

४. अभिप्रायसाधन का मार्ग । युक्ति । उपाय । तदबीर । जैसे,— किसी ढब से रुपया निकालना चाहिए । मुहा॰— ढब पर चढ़ना = अभिप्रायसाधन के अनुकूल होना । किसी का इस प्रकार प्रवृत्त होना जिससे (दूसरे का) कुछ अर्थ सिद्ध हो । किसी का ऐसी अवस्था मैं होना जिससे कुछ मतलब निकले । जैसे,— कहीं वह ढब पर चढ़ गया तो बहुत काम होगा । ढब पर लगाना या लाना= अभिप्रायसाधन के अनुकूल करना । किसी को इस प्रकार प्रवृत्त करना कि उससे कुछ अर्थ सिद्ध हो । अपने मतलब का बनाना ।

५. गुण और स्वभाव । प्रकृति । आदत । बान । टेव । मुहा॰—ढब डालना= (१) आदत डालना । अभ्यस्त करना । (२) अच्छी आदत डालना । आचार व्यवहार की शिक्षा देना । शऊर सिखाना । ढब पड़ना = आदत होना । बान या टेव पड़ना ।