ढरारा
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ढरारा वि॰ [हिं॰ ढार] [वि॰ स्त्री॰ ढरारी]
१. ढलनेवाला । ढरकनेवाला । गिरकर बह जानेवाला ।
२. लुढ़कनेवाला । थोडे़ आघात से पृथ्वी पर आपसे आप सरकनेवाला । जैसे, गोली । यौ॰— ढरारा रवा = गहना बनाने में सोने चाँदी का वह गोल दाना जो जमीन पर रखने से लुढ़क जाय ।
३. शीघ्र प्रवृत्त होंनेवाला । झुक पड़नेवाला । आकर्षित होनेवाला । चलायमान होनेवाला । उ॰— जीवन रंग रँगोली, सोने से ढरारे नेना, कंठपीत मखतूली ।— स्वामी हरिदास (शब्द॰) ।