ढलना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ढलना क्रि॰ अ॰ [हि॰ ढाल]
१. पानी या और किसी द्रव पदार्थ का नीचे की ओर सरक जाना । ढरकना । गिरकर बहना । जैसे, पत्ते पर की बूँद का ढलना । उ॰— अधरन चुवाइ लेउँ सिगरो रस तनिको न जान देउँ इत उत ढरि —स्वामी हरिदास (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—जाना । मुहा॰— जवानी ढलना = युवावस्था का जाता रहना । छाती ढलना = स्तनों का लटक जाना । जोबन ढलना = युवावस्था के चिह्नों का जाता रहना । जवानी का उतार होना । दिन ढलना = सूर्यास्त होना । संध्या होना । दिन ढले = संध्या को । शाम को । सूरज वा चाँद ढलना = सूर्य या चंद्रमा का अस्त होना ।
२. बीतना । गुजरना । निकल जाना । उ॰— काहे प्रगट करौ जदुपति सों दुसह दोष को अवधि गई ढरि ।—सूर (शब्द॰) ।
३. पानी या और किसी द्रव पदार्थ का आधार से गिरना । पानी, रस आदि का एक बरतन से दूसरे बरतन में डाला जाना । उड़ेला जाना । मुहा॰— बोतल ढलना = खूब शराब पिया जाना । मद्य पिया जाना । शराब ढलना = मद्य पिया जाना ।
४. लुढ़कना ।
५. झुकना । अनुकूल होना । मान जाना । उ॰— मुसलमान इसपर ढल भी गए ।—प्रेमधन॰, भा॰ २, पृ॰, २४५ ।
६. किसी सूत या डोरी के रूप की वस्तु का इधर से उधर हिलना । लहर खाकर इधर उधर ड़ोलना । लहराना । जैसे, चँवर ढलना ।
७. किसी और आकर्षित होना । प्रवृत्त होना । संयो॰ क्रि॰ —पड़ना ।
८. अनुकूल होना । प्रसन्न होना । रीझना । उ॰— देत न अघात, रीझि जात पात आक ही कै, भोलनाथ जोगी जब औढर ढरत है ।— तुलसी (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—जाना ।
९. पिघली या गाली हुई सामग्री से साँचे के द्वार बनना । साँचे में ढालकर बनाया जाना । ढाला जाना । जैसे, खिलौने ढलना, बरतन ढ़लना । मुहा॰— साँचे में ढला हुआ = बहुत सुंदर और सुडौल ।