ढील
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ढील संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ढीला]
१. कार्य में उत्साह का अभाव । शिथिलता । अतत्परता । नामुस्तैदी । सुस्ती । अनुचित बिलंब । जैसे,— इस काम में ढील करोगे तो ठीक न होगा । उ॰— ब्याह जोग रंभावती, बरष त्रयोदस माहिं । तातै वेगि विवाहिजै कामु ढोल कौ नाहि ।—रसरनन, पृ॰ ८७ । क्रि॰ प्र॰—करना । मुहा॰—ढीला देना = ध्यान न देना । दत्तचित्त न होना । बेपरवाही करना । उ॰— हुजूर तो गजब करते हैं, अब फरमाइए ढील किसकी है ।— फीसाना॰, भा॰ ३, पृ॰ ३२३ ।
२. बंधन को ढीला करने का भाव । डोरी को कड़ा वा तना न रखने का भाव । मुहा॰— ढील देना = (१) पतंग की अर बढ़ाना जिससे व ह आगे बढ़ सके । (२) स्वच्छंदता देना । मनमाना करने का अवसर देना । वश में न रखना ।
ढील † ^२ वि॰ दे॰ 'ढीला' ।
ढील † ^३ संज्ञा पुं॰ [देश॰] बालों का कीड़ा । जूँ ।