ढुरना
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ढुरना † ^१ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ ढार] दे॰ 'ढुनमुनिया'-२ ।
ढुरना ^२ क्रि॰ अ॰ [हिं॰ ढार]
१. गिरकर बहना । ढरकना । ढलाना । टपकना । नैनन ढुरहिं मोति और मूँगा । कस गुड़ खाय रहा ह्वै गूँगा ।—जायसी (शब्द॰) । संयो॰ क्रि॰—पड़ना ।
२. कभी इधर कभी उधर होना । इधर उधर डोलना । डग* मगाना ।
३. सुत या रस्सी के रूप वस्तु का इधर उधर हिलना । लहर खाकर डोलना । लहराना । जैसे, चँवर ढुरना । उ॰— जोबन मदमाती इतराती बेनी ढुरत कटि पै छवि बाढ़ी ।—सूर (शब्द॰) ।
४. लुढ़कना । फिसल पड़ना ।
५. प्रवृत्त होना ।
६. झुकना । उ॰— कभी ढुर ढुर कर स्त्रियों की भाँति ढुनमुनिया भी खेलते है ।—प्रेमघन॰, भा॰ २, पृ॰ ३४४ । संयो॰ क्रि॰—पड़ना ।
६. अनुकूल होना । प्रसन्न होना । कृपालु होना । उ॰— बिन करनी मोपै ढुरौ कान्ह गरीब निवाज ।—रसनिधि (शब्द॰) ।