ढुलाना
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ढुलाना ^१ क्रि॰ सं॰ [हिं॰ ढाल]
१. गिराकर बहाना । ढरकाना । ढालना । संयो॰ क्रि॰— देना ।
२. नीचे ढालना । ठहरा न रहने देना । गिराना । उ॰— स्यंदन खंडि, महारथ खंडी कपिध्वज सहित ढुलाऊँ ।—सूर (शब्द॰) ।
३. लुढ़काना । ढँगलाना ।
४. पीड़ित करना । जलाना । जलन या दाह उत्पन्न करना । उ॰— रमैया विन नींद न आवे । नींद न आवे बिरह सतावे, प्रेम की आँच ढुलाबै ।—संतवाणी॰, भा॰ २, पृ॰ ७३ । संयो॰ क्रि॰— देना ।
५. प्रवृत्त करना । झुकाना । संयो॰ क्रि॰—देना ।—लेना ।
६. अनुकूल करना । प्रसन्न करना । कृपालु करना । संयो॰ क्रि॰— देना ।-लेना ।
७. कभी इधर, कभी उधर करना । इधर उधर डुलाना । इधर से उधर हिलाना । जैसे, चँवर ढुलाना ।
८. चलाना । फिराना । उ॰—सूर स्याम श्यामा वश कीनो ज्यों सँग छाँह ढुलावै हो ।—सूर (शब्द॰) । पु †
९. फेरना । पोतना । उ॰— ऊँचा महल चिनाइया चूना कली ढुलाय ।— कबीर (शब्द॰) ।
ढुलाना ^२ क्रि॰ स॰ [हिं॰ ढोना] ढोने का काम कराना ।