णय

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

णय संज्ञा पुं॰ [सं॰] ब्रह्मलोक का एक समुद्र [को॰] । त त संस्कृत या हिंदी वर्णमाला का १६वाँ और तवर्ग का पहला अक्षर विसका उच्चारणस्थान दंत है । इसके उच्चारण में विवार, श्वास और अघोष प्रयत्न लगते हैं । इसके उच्चारण में आधी मात्रा का समय लगता है ।