तन
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ तनु । तुल॰ फा॰ तन]
१. शरीर । देह । गात । जिस्म । यौ॰—तनताप = (१) शारीरिक कष्ट । (२) भूख । क्षुधा । मुहा॰—तन को लगाना = (१) हृदय पर प्रभाव पड़ना । जी में बैठना । जैसे,—चाहे कोई काम हो, जब तन को न लगै तब तक वह पूरा नहीं होता । (१) (खाद्य पदार्थ का) शरीर को पुष्ट करना । जैसे,—जब चिंता छूटे, तब खाना पीना भी तन को लगे । तन तोड़ना = अँगड़ाई लेना । तन देना = ध्यान देना । मन लगाना । जैसे,—तन देकर काम किया करो । तन मन मारना = इंद्रियों को वश में रखना । इच्छाओं पर अधिकार रखना ।
२. स्त्री की मूत्रेंद्रिय । भग । मुहा॰—तन दिखाना = (स्त्री का) संभोग करना । प्रसंग कराना ।
तन ^२ क्रि॰ वि॰ तरफ ओर । उ॰—बिहँसे करुना अयन चितइ जानकी लखन तन ।—मानस, २ । १०० ।
तन ^३ संज्ञा पुं॰ [सं॰ स्तन; प्रा॰ थण; हिं॰ थन; राज॰ तन;] दे॰ 'स्तन' । उ॰—तिया मारू रा तन खिस्या पंडर हुवा ज केस ।—ढोला॰, दू॰ ४४२ ।