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तबीअत

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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तबीअत संज्ञा स्त्री॰ [अ॰ तबीयत]

१. चित्त । मन । जी । मुहा॰—(किसी पर) तबीअत आना = (किसी पर) प्रेम होना । आशिक होना । (किसी चीज पर) तबीअत आना = (किसी चीज को) लेने की इच्छा होना । तबीअत उलझना = जी घबराना । तबीअत खराब होना = (१) बीमारी होना । स्वास्थ बिगड़ना । (२) जी मिचलाना । तबीअत फड़क उठना = चित्त का उत्साहपूर्ण और प्रसन्न हो जाना । उमंग के कारण बहुत प्रसन्न होना । तबीअत फड़क जाना = दे॰ 'तबीअत फड़क उठना' । तबीअत फिरना = जी हटना । अनुराग न रहना । तबीअत बिगड़ना = दे॰ 'तबीअत खराब होना' । तबीअत भरना = (१) संतोष होना । तसल्ली होना । (२) संतोष करना । तसल्ली करना । जैसे,—हमने अच्छी तरह उनकी तबीअत भर दी, तब उन्होंने रुपए लिए । (३) मन भरना । अनुराग या इच्छा न रहना । जैसे,—अब इन कामों से हमारी तबीअत भर गई । तबीअत लगना = (१) मन में अनुराग उत्पन्न होना । (२) ख्याल लगा रहना । ध्यान लगा रहना । जैसे,—इधर कई दिनों से उनकी चिट्ठी नहीं आई, इससे तबीअत लगी हुई है । तबीअत लगाना = (१) चित्त को किसी काम में प्रवृत्त करना । जैसे,—तबीअत लगाकर काम किया करो । (२) प्रेम करना । मुहब्बत में फँसना । तबीअत होना =अनुराग या प्रवृत्ति होना । जी चाहना ।

२. बुद्धि । समझ । भाव । मुहा॰—तबीअत पर जोर डालना = विशेष ध्यान देना । तवज्जह करना । जैसे,—जरा तबीअत पर जोर डाला करो, अच्छी कविता करने लगोगे । तबीअत लड़ाना = दे॰ 'तबीअत पर जोर डालना' । यौ॰—तबीअतदार । तबीअतदारी ।