तर
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तर ^१ वि॰ [फा़॰]
१. भीगा हुआ । आर्द्र । गीला । जैसे, पानी से तर करना, तेल से तर करना । यौ॰—तर बतर = भीगा हुआ ।
२. शीतल । ठंढा । जैसे,—(क) तर पानी, तर माल । (ख) तरबूज खालो, तबीयत तर हो जाय ।
३. जो सूखा न हो । हरा । यौ॰—तर व ताजा = टटका । तुरंत का ।
४. भरा पूरा । मालदार । जैसे, तर असामी ।
तर ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] पार करने की क्रिया ।
२. अग्नि ।
३. वृक्ष ।
४. पथ ।
५. गति ।
६. नाव की उतराई ।
७. घाट की नाव (को॰) ।
८. बढ़ जाना (को॰) ।
९. पराजित करना । परास्त करना (को॰) ।
तर † ^३ क्रि॰ वि॰ [सं॰ तल] तले । नीचे । उ॰—कौन बिरिछ तर भीजत होइहैं राम लषन दूनो भाई ।—गीत (शब्द॰) ।
तर ^४ प्रत्य॰ [सं॰] एक प्रत्यय जो गुणवाचक शब्दों में लगकर दूसरे की अपेक्षा आधिक्य (गुण में) सूचित करता है । जैसे, गुरुतर, अधिकतर, श्रेष्ठतर ।
तर बतर वि॰ [फा़॰] भींगा हुआ । आर्द्र । शराबोर ।
तर तार ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰] सांख्य के अनुसार एक गौण सिद्धि । पठित आगम आदि की तर्क द्वारा युक्तियुक्त परीक्षा से प्राप्त सिद्धि ।