तरनी

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तरनी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ तरणी]

१. नाव । नौका । उ॰—रातिहिं घाठ घाट की तरनी । आई अगनित जाहिं न बरनी ।— मानस, २ ।२२० ।

२. वह छोटा मोढा़ जिसपर मिठाई का थाल या खोंचा रखते हैं । दे॰ 'तन्नी' ।

तरनी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰] डमरू के आकार की बनी हुई चीज जिसपर खोमचेवाले अपनी थाली रखते हैं ।

तरनी संज्ञा स्त्री॰ [देश॰ या हिं॰ तिन्नी]

१. वह डोरी जिससे घांघरा या धोती नाभि के पास बँधी रहती है । नीवी । तिन्नी । फुबती ।

२. स्त्रियों के घाघरे या धोती का वह भाग जो नाभि के नीचे पड़ता है । उ॰— बेनी सुभग नितंबति डोलत मंदगामिनी नारी । सूथन जघन बाँधि नाराबँद तिरनी पर छबी भारी ।— सूर (शब्द॰) ।