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तरसना

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तरसना ^१ क्रि॰ अ॰ [सं॰ तर्षण( = अभिलाषा)] किसी वस्तु के अभाव में उसके लिये इच्छुक और आकुल रहना । अभाव का दुःख सहना । (किसी वस्तु को) न पाकर बेचैन रहना । जैसे,—(क) वहाँ लोग दाने दाने को तरस रहे हैं । (ख) कुछ दिनों में तुम उन्हें देखने के लिये तरसोगे । उ॰—दरसन धिनु अँखियाँ तरस रहीं ।—(गीत) । संयो॰ क्रि॰—जाना ।

तरसना ^२ क्रि॰ अ॰ [सं॰ √त्रस्] त्रस्त होना ।

तरसना ^३ क्रि॰ स॰ त्रस्त करना । त्रास देना ।