तरी
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तरी ^१ संज्ञा स्त्री॰ [सं॰]
१. नाव । नौका ।
२. गदा ।
३. कपडा़ । रखने का पिटारा । पेटी ।
४. धूआँ । धूम ।
५. कपडे़ का छोर । दामन ।
तरी ^२ संज्ञा स्त्री॰ [फा़॰]
१. गीलापन । आर्द्रता ।
२. ठंढक । शीतलता ।
३. वह नीची भूमि जहाँ बरसात का पानी बहुत दिनों तक इकट्ठा रहता हो । कछार ।
४. तराई । तरहटी ।
५. समृद्ध । धनाढयता । मालवारौ ।
तरी † ^३ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ तर ( = नीचे)]
१. जूते का तला ।
२. तलछट । तलौंछ ।
तरी †पु ^४ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ताड़] कान का एक गहना । तरिवन । कर्णफूल । उ॰—काने कनक तरी बर बेसरि सोहहि ।— तुलसी (शब्द॰) ।
तरी ^५ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰] चाल । मृणाल । उ॰—जैसे सुंदर कमल को हंस ग्रहण करे तैसे पिता का चरण ग्रहण किया । जैसे कमल के तरे कोमल तरियाँ होती हैं, तिन तरियों सहित कमल को हंस पकड़ता है, तैसे तशरथ जी की अँगुरीन को राम जी ने ग्रहण किया ।—योग॰, पृ॰ १३ ।