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तलवा

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प्रकाशितकोशों से अर्थ

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शब्दसागर

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तलवा संज्ञा पुं॰ [सं॰ तल] पैर के नीचे का भाग जो चलने या खडे़ होने में जमीन पर पड़ता है । पैर के नीचे की ओर का वह भाग जो एँड़ी और पंजों के बीच में होता है । पादतल । मुहा॰—तलवा खुजलाना = तलवे में खुजली होना जिससे यात्रा का शकुल समझा जाता है । तलवे चाटना = बहुत खुशामद करना । अत्यंत सेवा शुश्रूषा में लगा रहना । तलवे छलनी होना = चलते चलते पैर घिस जाना । चलते चलते शिथिल हो जाना । बहुत दौड़ धूप की नौबत आना । तलवे तले आँखें मलना = दे॰ 'तलवों से आँख मलना' । तलवों तले मेटना = कुचलकर नष्ट करना । रौंद डालना —(स्त्रि॰) । तलवे धो धोकर पीना = अत्यंत सेवा शुश्रूषा करना । अत्यंत श्रद्धा भक्ति प्रकट करना । अत्यंत प्रेम प्रकट करना । तलवा न टिकना = पैर न टिकना । जमकर बैठा न रहा जाना । आसन न जमाना । एक जगह कुछ देर बैठे न रहा जाना । तलवा न भरना = दे॰ 'तलवा न टिकना' ।—(स्त्रि॰) । तलवों से आँखें मलना = (१) अत्यंत दीनता प्रकट करना । बहुत अधिक अधीनता दिखाना । (२) अत्यंत प्रेम प्रकट करना । (३) दे॰ 'तलवों तले मेटना' । तलवों से आग लगना = क्रोध से शरीर भस्म होना । अत्यंत क्रोध चढ़ना । तलवों से मलना = पैर से कुचलना । रोंदना । कुचलकर नष्ट करना । तलवों से लगना = (१) क्रोध चढ़ना । (२) बुरा लगना । अत्यंत अप्रिय लगना । कुढ़न होना । चिढ़ होना । तलवों से लगना, सिर में जाकर बुझना = सिर से पैर तक क्रोध चढ़ना । क्रोध से शरीर भस्म होना । तलवे सहलाना = (१) अत्यंत सेवा शुश्रूषा करना । (२) बहु खुशामद करना ।