ताक
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]ताक ^१ संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ ताकना]
१. ताकने की क्रिया । अवलोकन । यौ॰—ताक झाँक । मुहा॰—ताक रखना = निगाह रखना । निरीक्षण करते रहना ।
२. स्तिर दृष्टि । टकटकी । मुहा॰—ताक बाँधना = दृष्टि स्तिर करना । टकटकी लगाना ।
३. किसी अवसर की प्रतीक्षा । मौका देकते रहने का काम । घात । जैसे,—बंदर आम लेने की ताक में बैठा है । मुहा॰—(किसी की) ताक में बैठना = (किसी का) अहित चेतना । उ॰—जो रहे ताकते हमारा मुँह । हम उन्हीं की न ताक में बैठें ।—चोखे॰, पृ॰ २७ । ताक में रहना = उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा करते रहना । मौका देखते रहना । ताक रखना = घात में रहना । मौका देखते रहना । ताक लगाना = घात लगाना । मौका देखते रहना ।
४. खोज । तलाश । फिराक । जैसे,—(क) किस ताक में बैठ हो ? (ख) उसी कौ ताक में जाते हैं ।
ताक ^२ संज्ञा पुं॰ [अ॰ ताक] दीवार में बना हुआ गड्ढा या खाली स्थान जो चीज वस्तु रखने के लिये होता है । आला । ताखा । मुहा॰—ताक पर धरना या रखना = पड़ा रहने देना । काम में न लाना । उपयोग न करना । जैसे,—(क) किताब ताक— पर रख दी और खेलने के लिये निकल गया । (ख) तुम अपनी किताब ताक पर रखो; मुझे उसकी जरूरत नहीं । ताक पर रहना या होना = पड़ा रहना । काम में न आना । अलग पड़ा रहना । व्यर्थ जाना । जैसे, यह दस्तावेज ताक पर रह जायगा; और उसकी डिगरी हो जायगी । ताक भरना = किसी देवस्थान पर मनौती की पूजा चढ़ाना ।—(मुसल॰) ।
ताक ^३ वि॰
१. जो संख्या में सम न हो । जो बिना खंडित हुए दो बराबर भागों में न बँट सके । विषम । जैसे, एक तीन, पाँच, सात, नौ, ग्यारह आदि । यौ॰—जुफ्त ताक या जूस ताक ।
२. जिसके जोड़ का दूसरा न हों । अद्वितीय । एक या अनुपम । जेसे, किसी फन में ताक होना । उ॰—जो था अपने फन में ताक ता ।—फिसाना॰, बा॰ ३, पृ॰ ४९ ।