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ताजक

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

ताजक संज्ञा पुं॰ [फ़ा॰]

१. एक ईरानी जाति जो तुर्किस्तान के बुखारा प्रदेश से लेकर बदख्शाँ, काबुल, बिलोचिस्तान, फारस आदि तक पाई जाती है । विशेष—बुखारा में यह जाति सर्त, अफगानिस्तान में देहान और बिलोचिस्तान में देहवार कहलाती है । फारस में ताजक एक साधारण शब्द ग्रामीण के लिये हो गया है ।

२. ज्योतिष का एक ग्रंथ जो यावनाचार्य कृत प्रसिद्ध है । विशेष—यह पहले अरबी और फारसी में था; राजा समरसिंह, नीलकंठ आदि ने इसे संस्कृत में किया । इसमें बारह राशियों के अनेक विभाग करके फलाफल निश्चित करने की रीतियाँ बतलाई गई हैं । जैसे, मेष, सिंह और धनु का पिता स्वभाव और क्षत्रिय वर्ण; मकर, वृष और कन्या का वायु स्वभाव और वैश्य वर्ण मिथुन, तुला और कुंभ का सम स्वभाव और शूद्र वर्ण; कर्कट, वृश्चिक और मीन का कफ स्वभाव और ब्राह्मण वर्ण । इस ग्रंथ में जो संज्ञाएँ आई हैं, वे अधिकांश अरबी और फारसी की हैं, जैसे, इक्कबाल योग, इंतिहा योग इत्यशाल योग, इशराक योग, गैरकबूल योग इत्यादि ।