तामरस
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तामरस संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. कमल । उ॰— सियरे बदन सूखि गए कैसे । परसत तुहिन तामरस जैसे ।—तुलसी (शब्द॰) । विशेष— यद्यपि यह शब्द वेदों में आया है तथापि आर्यभाषा का नहीं है । 'पिक' आदि के समान यह अनार्य भाषा से आया हुआ माना गया है । शबर भाष्य में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है ।
२. सोना ।
३. ताँबा ।
४. धतूरा ।
५. सारस ।
६. एक वर्णवृत्त का नाम जिसके प्रत्येक चरण में एक नगण, दो जगण और एक यगण (/?/) होता है । जैसे,— निज जय हेतु करौ रघुबीरा । तब नुति मोरी हरौ भव पीरा ।