तामिल

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तामिल संज्ञा स्त्री॰ [तमिल; तमिष्]

१. भारत के दूरस्थ दक्षिण प्रांत की एक जाति जो आधुनिक मद्रास प्रांत के अधिकांश भाग में निवास करती है । यह द्रविड़ जाति की ही एक शाखा है । विशेष— बहुत से विद्वानों की राय है कि तामिल शब्द संस्कृत 'द्राविड' से निकला है । मनुसंहिता, महाभारत आदि प्राचीन ग्रंथों में द्रविड देश और द्रविड जाति का उल्लेख है । मागधी प्राकृत या पाली में इसी 'द्राविड' शब्द का रूप 'दामिलो' हो गया । तामिल वर्णमाला में त, ष, द आदि के एक ही उच्चारण के कारण 'दामिलो' का 'तामिलो' या 'तामिल' हो गया । शंकराचार्य के शारीरक भाष्य में 'द्रमिल' शब्द आया है । हुएनसांग नामक चीनी यात्री ने भी द्रविड देश को चि—मो—लो करके लिखा है । तामिल व्याकरण के अनुसार द्रमिल शभ्द का रूप 'तिरमिड़' होता है । आजकल कुछ विद्वानों की राय हो रही है कि यह 'तिरमिड़' शब्द ही प्राचीन है जिससे संस्कृतवालों ने 'द्रविड' शब्द बना लिया । जैनों के 'शत्रुंजय माहात्म्य' नामक एक ग्रंथ में 'द्रविड' शब्द पर एक विलक्षण कल्पना की गई है । उक्त पुस्तक के मत से आदि तीर्थकर ऋषभदेव को 'द्रविड' नामक एक पुत्र जिस भूभाग में हुआ, उसका नाम 'द्रविड' पड़ गया । पर भारत, मनुसंहिता आदि प्राचीन ग्रंथों से विदित होता है कि द्रविड जाति के निवास के ही कारण देश का नाम द्रविड पड़ा । (दे॰ द्राविड) । तामील जाति अत्यंत प्राचीन हे । पुरातत्वविदों का मत है कि यह जाति अनार्य है और आर्यों के आगमन से पूर्व ही भारत के अनेक भागों में निवास करती थी । रामचंद्र ने दक्षिण में जाकर जिन लोगों की सहायता से लंका पर चढ़ाई की थी और जिन्हें वाल्मीकि ने बंदर लिखा है, वे इसी जाति के थे । उनके काले वर्ण, भिन्न आकृति तथा विकट भाषा आदि के कारण ही आर्यों ने उन्हें बंदर कहा होगा । पुरातत्ववेत्ताओं का अनुमान है कि तामिल जाति आर्यों के संसर्ग के पूर्व ही बहुत कुछ सभ्यता प्राप्त कर चुकी थी । तामिल लोगों के रजा होते थे जो किले बनाकर रहते थे । वे हजार तक गिन लेते थे । वे नाव, छोटे मोटे जहाज, धनुष, बाण, तलवार इत्यादि बना लेते थे और एक प्रकार का कपड़ा बुनना भी जानते थे । राँगे, सीसे और जस्ते को छोड़ और सब धातुओं का ज्ञान भी उन्हें था । आर्यों के संसर्ग के उपरांत उन्होंने आर्यों की सभ्यता पूर्ण रूप से ग्रहण की । दक्षिण देश में ऐसी जनश्रुति है कि अगस्तय ऋषि ने दक्षिण में जाकर वहाँ के निवासियों को बहुत सी विद्याएँ सिखाई । बारह तेरह सौ वर्ष पहले दक्षिण में जैन धर्म का बड़ा प्रचार था । चीनी यात्री हुएनसांग जिस समय दक्षिण में गया था, उसने वहाँ दिगंबर जैनों की प्रधानता देखी थी ।

२. द्रविड भाषा । तामिल लोगों की भाषा । विशेष— तामिल भाषा का साहित्य भी अत्यंत प्रचीन है । दो हजार वर्ष पूर्व तक के काव्य तामिल भाषा में विद्यमान हैं । पर वर्णमाला नागरी लिपि की तुलना में अपूर्ण है । अनुनासिक पंचम वर्ण को छोड़ व्यंजन के एक एक वर्ग क ा उच्चारण एक ही सा है । क, ख, ग, घ, चारहों का उच्चारण एक ही है । व्यंजनों के इस अभाव के कारण जो संस्कृत शब्द प्रयुक्त होते हैं, वे विकृत्त हो जाते हैं; जैसे, 'कृष्ण' शब्द तामिल में 'किट्टिनन' हो जाता है । तामिल भाषा का प्रधान ग्रंथ कवि तिरुवल्लुवर रचित कुरल काव्य है ।

तामिल लिपि संज्ञा स्त्री॰ [हिं॰ तामिल + सं॰ लिपि] एक प्रकार की लिपिविशेष । विशेष—यह लिपि मद्रास अहाते के जिन हिस्सों में प्राचीन ग्रंथ- लिपि प्रचलित थी वहाँ के, तथा उक्त अहाते के पश्चिमी तट अर्थात् मलाबार प्रदेश के तामिल भाषा के लेखों में ई॰ स॰ की सातबीं शताब्दी से बारबर मिलती चली आती है । ('तामिल' शब्द की उत्पत्ति देश और जातिसूचक 'द्रमिल') (द्रविड) शब्द से हुई है । (दे॰ भारतीय प्राचीन लिपिमाला, पृ॰ १३२) ।