तारन
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तारन ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰ तारण] दे॰ 'तारण' । उ॰—(क) हम तुम्ह तारन तेज घन सुंदर, नीके सौं निरबहिये ।—दादू॰, पृ॰ ५५१ । (ख) जग कारन, तारन भव, भंजन धरनी भार ।—तुलसी (शब्द॰) ।
तारन ^२ संज्ञा पुं॰ [हिं॰ तर(=नीचे?)]
१. छत की ढाल । छाजन की ढाल ।
२. छप्पर का वह बाँस जी काँड़ियों के नीचे रहता हैं ।