तिमिर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तिमिर संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. अंधकरा । अँधेरा । उ॰— काल गरज है तिमिर अपारा ।—कबीर सा॰, पृ॰ २ ।
२. आँख का एक रोग । विशेष— इसके अनेक भेद सुश्रुत मे बतलाए हैं । आँखों से धुँधला दिखाई पड़ना चीजें रंग बिरंग की दिखाई पड़ना, रात को न दिखाई पड़ना आदि सब दोष इसी के अंतर्गत माने गए हैं ।
३. एक पेड़ । (वाल्मीकि॰) ।
तिमिर पु संज्ञा पुं॰ [हिं॰] दे॰ 'तिमिर' । उ॰— जथ गुरु तेज प्रचंड तेमिरि पाखंड विहंडन ।— नट॰, पृ॰ ९ ।