तिरना
हिन्दी[सम्पादन]
प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]
शब्दसागर[सम्पादन]
तिरना क्रि॰ अ॰ [सं॰ तरण]
१. पानी के ऊपर आना या ठहरना । पानी में न डूबकर सतह के ऊपर रहना । उतराना । उ॰— जल तिरिया पाहण सुजड़, पतसिय नाम प्रताप ।— रघु॰ रू॰, पृ॰ २ ।
२. तैरना । पैरना ।
३. पार होना ।
४. तरना । मुक्त होना । संयो॰ क्रि॰ —जाना ।