तीरथ संज्ञा पुं॰ [सं॰ तीर्थ] दे॰ 'तीर्थ' । उ॰—तीरथ अनादि पंचगंगा मनीकर्निकादि सात आवरण मध्य पुन्य रूपी घसी है ।—भारतेंदु ग्रं॰ भा॰ १, पृ॰ २८१ । विशेष—तारथ के योगिक शब्दों के लिये दे॰ 'तीर्थ' के यौगिक शब्द ।