तुखार
दिखावट
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तुखार ^१ संज्ञा पुं॰ [सं॰]
१. एक देश का प्राचीन नाम जिसका उल्लेख अथर्व वेद परिशिष्ट, रामायण, महाभारत इत्यादि में है । विशेष—अधिकांश, ग्रंथों के मत से इसकी स्थिति हिमालय के उत्तरपश्चिम में होनी दी चाहिए । यहाँ के घोड़ें प्राचीन काल में बहुत अच्छे माने जाते थे ।
२. तुषार देश का नीवासी । विशेष—हरिवंश के अनुसार जब महर्षियों ने बेणु का मंथन किया था, तब इस अधर्रतम असभ्प जाति की उत्पत्ति हुई थी; पर डक्त ग्रंथ में इस जाति का निवासस्थान विंध्य पर्वत लिखा है जो और ग्रंथों के विरुद्ध पड़ता है । ३तुषार देश का घोडा़ ।
४. घोड़ा । उ॰—(क) तीख तुखार चाँड़ औ बाँके । तरपहि तबहि तापन बिनु हाँके ।—जायसी ग्रं॰ (गुप्त), पृ॰ १५० । (ख) आना काटर एक तुखारू । कहा सो फेरौ भा असावरू ।—जायसी (शब्द॰) ।
तुखार ^२ संज्ञा पुं॰ [सं॰]दे॰ 'तुषार' ।