तुङ्ग
प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तुंग ^१ वि॰ [सं॰ तुङ्ग]
१. उन्नत । ऊंचा । उ॰—सारा पर्वत गाम तुंग सरल सवाहरित देवदारुओं से ढँका जा ।—किन्नर॰, पृ॰ ४२ ।
२. डग्र । प्रचंड । उ॰—तुंग फकीर शाह सुल्तानै सिर सिर हुकुम चलावै ।—प्राण॰, पृ॰ २६३ ।
३. प्रधान । मुख्य ।
तुंग ^२ संज्ञा पुं॰
१. पुन्नाग वृक्ष ।
२. पर्वत । पहाड़ ।
३. नारियल ।
४. किंजल्क । कमल का कैसर ।
५. शिव ।
६. बुध ग्रह ।
७. ग्रहों की उच्च राशि । दे॰ 'उच्च' ।
८. एक वर्णवृत्त नाम जिसके प्रत्येक चरण में दो नगण और दो गुरु होते हैं । जैसे,—न नग गहु बिहारी । कहत अहि पियारौ ।
९. एक छोटा झाड़ या पेड़ जो सुलेमान पहाड़ तथा पच्छिमी हिमालय पर कुमाऊँ तक होता है । विशेष—इसकी लकड़ी, छाल और पत्नी रँगने और चमड़ा सिझाने के काम में आती है । इसकी लकड़ी से यूरोप में तस- वीरों कै नक्काशीदार चौखटे आदि भी बचते हैं । हिमालय पर पहाड़ी लोग इसकी टहनियों के टोकरे भी बनाते हैं । यह पेड़ तमक या समाक जाति का है । इसे आमी, दरेंगड़ी और एरंडी भी कहते हैं ।
१०. सिंहासन (को॰) ।
११. चतुर या निपुण व्यक्ति (को॰) ।
१२. गूथ । झूंड । समूह (को॰) ।