तुर
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प्रकाशितकोशों से अर्थ
[सम्पादन]शब्दसागर
[सम्पादन]तुर ^१ क्रि॰ वि॰ [सं॰] शीघ्र । जल्द । स॰—बहु दाबि डारे समर में तुर में तुरंगहि दपटि कै ।—पद्माकर ग्रं॰, पृ॰ २० ।
तुर ^२ वि॰
१. वेगवान् । शीघ्रगामी ।
२. दृढ़ । सबल (को॰) ।
३. घायल । आहत (को॰) ।
४. धनी (को॰) ।
५. अधिक । प्रचुर [को॰] ।
तुर ^३ संज्ञा पुं॰ वेग । क्षिप्रता [को॰] ।
तुर ^४ संज्ञा पुं॰ [सं॰ तर्कु] १, वह लकड़ी जिसपर जुलाई कपड़ा बुनकर लपेटते जाते हैं ।
२. वह बेलन जिसपर गोटा बुनकर लपेटते जाते हैं ।
तुर पु ^५ संज्ञा पुं॰ [? सं॰ तुरग > तुरअ, तुर] घोड़ा । अश्व । तुरग । उ॰—माघ बद्दि पंचमि दिवस चढ़ि चालिए तुर तार ।—पृ॰ रा॰, २५ ।२२५ ।