तुरही

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हिन्दी[सम्पादन]

प्रकाशितकोशों से अर्थ[सम्पादन]

शब्दसागर[सम्पादन]

तुरही संज्ञा स्त्री॰ [सं॰ तूर] फूँककर बजाने का एक बाजा जो मुँह की ओर पतला और पीछे की ओर चौड़ा होता है ।— उ॰—बाजत ताल मृदंग झांझ डफ, तुरही तान नफीरी ।— कबीर श॰, भा॰ २, पृ॰ १०८ । विशेष—यह बाजा पीतल आदि का बनता है और टेढ़ा सीधा कई प्रकार का होता है । पहले यह लड़ाई में नगाड़े आदि के साथ बजता था । अब इसका व्यवहार विवाह आदि में होता है ।