तुल पु वि॰ [सं॰] दे॰ 'तुल्य' । उ॰—'हरीचंद' स्वामिनि अभि— रामिनि तुल न जगत मैं जाकी ।—भारतेंदु ग्रं॰, भा॰ २, पृ॰ ८० ।